आजकल क्रिप्टोकरेंसी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन इनकी कीमतों में बहुत उतार-चढ़ाव होता है, जो लोगों को परेशान कर सकता है।
ऐसे में एक ऐसी डिजिटल करेंसी की ज़रूरत है जिसकी वैल्यू हमेशा लगभग एक जैसी बनी रहे। तो Stablecoin क्या है( Stablecoin kya hai)? आइए जानते हैं।
What is Stablecoin
स्टेबलकॉइन की शुरुआत क्रिप्टो की प्राइस वोलैटिलिटी को कम करके इसे व्यापार और रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोगी बनाने के लिए की गई है।
स्टेबलकॉइन (Stablecoins) ऐसे डिजिटल टोकन होते हैं जिनकी कीमत में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं होता और किसी स्थिर संपत्ति (Non-Volatile Asset जैसे – अमेरिका डॉलर, पाउंड, रूबल आदि ) से जुड़े होते हैं (जिसे “Peg” कहा जाता है) ।
ये विभिन्न ब्लॉकचेन नेटवर्क पर चलते हैं, और डॉलर जैसी मुद्राओं द्वारा (इन्हें पूरी तरह 1:1 के अनुपात में ) रिजर्व रखा जाता है।
कई जानी मानी कंपनियां और बैंक जैसे Bank of America, अपनी खुद की स्टेबलकॉइन (Stablecoin) लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं, ताकि पेमेंट सिस्टम को सरल और तेज़ बनाया जा सके।
प्रमुख स्टेबलकॉइन्स (Stablecoin)
- USDT (Tether): सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला स्टेबलकॉइन
- USDC: Circle कंपनी द्वारा जारी, हाल ही में शेयर बाजार में प्रवेश (IPO) किया
- PayPal USD (PYUSD – PayPal का अपना स्टेबलकॉइन )
- USD1: Trump परिवार से जुड़ी संस्था World Liberty Financial द्वारा अप्रैल 2025 में लॉन्च किया गया।
- DAI: MakerDAO द्वारा जारी, पूरी तरह Decentralized
इस लिंक पर क्लिक करके आप स्टेबलकोइंस की पूरी लिस्ट (Stablecoin List) देख सकते हैं। https://cryptorank.io/categories/stablecoin
स्टेबलकॉइन (Stablecoin) का मुख्य उपयोग :
स्टेबलकोइंस का उपयोग अब सिर्फ ट्रेडिंग तक सीमित नहीं है।
- स्टोर ऑफ वैल्यू (Store of Value) के साथ-साथ मीडियम का एक्सचेंज (Medium of Exchange) के तौर पर उपयोग होता है ।
- Cross-border payments में तेज़, सस्ते और पारदर्शी ट्रांजेक्शन के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं।
- जब भी मार्केट में गिरावट आने की संभावना होती है तो ट्रेडर्स अस्थिरता से बचने के लिए स्टेबलकॉइन में अपने फंड को कन्वर्ट कर लेते हैं।
- DEFI में स्टेबलकॉइन का उपयोग लिक्विडिटी ऐड करने में और यील्ड फार्मिंग जैसे कामों में होता है।
- बेहतर रेगुलेशन के कारण इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर डिजिटल डॉलर में ज्यादा भरोसा दिखा रहे हैं।
Uber के CEO के अनुसार: जैसे Bitcoin एक स्टोर ऑफ वैल्यू मूल्य का माध्यम है, ठीक उसी प्रकार स्टेबलकॉइन Global Transactions के लिए काफी भरोसेमंद साधन बनेगा।
https://x.com/WatcherGuru/status/1931384417051701434
स्टेबलकॉइन्स (Stablecoin) की बढ़ती लोकप्रियता
स्टेबलकॉइन्स की लोकप्रियता दिन-ब-दिन तेज़ी से बढ़ रही है। आने वाले समय में बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे बैंक ऑफ अमेरिका, Mastercard, VISA, Stripe, फिडेलिटी, मेटा, स्टैंडर्ड चार्टेड और रॉबिनहुड जैसे कम्पनियां स्टेबलकोइंस से संबंधित सर्विसेज लाने की योजना बना रहे हैं।

CC @paraficapital
स्टेबलकॉइन (Stablecoin) का मार्केट कैप $250 बिलियन के पार पहुंचा: (जून 2025 के अनुसार)
रेगुलेटरी clarity और DEFI के एडॉप्शन में तेजी के कारण स्टेबलकोइंस का कुल मार्केट कैप हाल ही में पहली बार 250 बिलियन डॉलर से पार कर चुका है।

cc: @CryptoRank
🔹 USD-बैक्ड स्टेबलकॉइन्स: इसमें से $245.5 बिलियन स्टेबलकॉइन अमेरिकी डॉलर द्वारा समर्थित हैं।
🔹 सबसे बड़ा स्टेबलकॉइन – Tether (USDT) का मार्केट कैप $153 बिलियन से अधिक है
🔹 दूसरे नंबर पर – Circle का USDC का मार्केट कैप $60.9 बिलियन है।
क्या है GENIUS Act (Guiding and Establishing National Innovation for U.S. Stablecoins Act):
स्टेबलकोइंस को लेकर हमेशा से एक चिंता जताई जाती है कि ये मनी लॉन्ड्रिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है । खासकर तब जब इन्हें ऐसे प्लेटफार्म के द्वारा चलाया जाए जिनका Compliance को लेकर खराब छवि रही है। डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन से अमेरिका में एक नया कानून जीनियस एक्ट (GENIUS Act) लाया गया है जो स्टेबलकॉइन से जुड़े हुए नियम को तय करता है:
- इस कानून के तहत हर स्टेबलकोइंस को अमेरिकी डॉलर या लिक्विड असेट्स से पूरी तरह बैक करना अनिवार्य है ।
- स्टेबलकोइंस कंपनियों का मार्केट कैप अगर 50 बिलियन डॉलर से अधिक है तो उन्हें हर साल ऑडिट करवाना जरूरी होगा।
- और विदेशी कंपनिया जो अमेरिका में स्टेबलकॉइन चलाना चाहती हैं उन्हें भी इन नियमों का पालन करना होगा।
स्टेबलकॉइन (Stablecoin) से डॉलर को कोई खतरा नहीं
अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी बेसेंट का कहना है: अगर स्टेबलकॉइन का उपयोग बढ़ता है, तो प्राइवेट सेक्टर अमेरिका के सरकारी बॉन्ड (US Treasuries) की ज़्यादा मांग करेगा, क्योंकि यही बॉन्ड स्टेबलकॉइन के पीछे रिज़र्व के तौर पर होते हैं। इससे सरकार को सस्ता कर्ज़ मिलेगा और देश का कर्ज़ नियंत्रण में आ सकता है।
स्टेबलकॉइन (Stablecoin) का भविष्य:
अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा कि अमेरिकी डॉलर द्वारा बैक्ड स्टेबलकॉइन का बाजार 2028 तक लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा का हो सकता है । और स्टेबलकॉइन ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है बशर्ते कि इसे सही तरीके से रेगुलेट किया जाए।
स्टेबलकोइंस को सुरक्षित और लोगों को धोखा से बचाने के लिए जीनियस एक्ट कानून लाया गया है, जिससे स्टेबलकोइंस को काफी बल मिलेगा। Donald Trump समर्थित USD1 जैसे नए खिलाड़ी और Bank of America, Visa, Stripe, PayPal, वॉलमार्ट और अमेजॉन द्वारा जारी किए गए डिजिटल टोकन भी इस स्पेस में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
आने वाले समय में स्टेबलकॉइन जल्द ही ग्लोबल सेटलमेंट में डॉलर की जगह ले सकता है। स्टेबलकॉइन की कुल मार्केट कैप 250 बिलीयन डॉलर से पार कर चुकी है ,अब देखते हैं अगला पड़ाव 1 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने में कितना समय लगता है? साथ ही स्टेबलकॉइन की स्थिरता और भरोसेमंद रिज़र्व जरूरी है, वर्ना निवेशक जोखिम में पड़ सकते हैं ।
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