Mahngai aur Bitcoin ka kya rishta hai (Inflation vs bitcoin Explained) हिंदी में

By jay

Updated on:

Inflation and Bitcoin

आप सभी ने “पीपली लाइव” फिल्म का मशहूर गाना “महंगाई डायन खाए जात है” जरूर सुना होगा।

क्या कभी आपने सोचा कि महंगाई यानि Inflation को हमेशा डायन के रूप में ही क्यों दिखाया जाता है? महबूबा भी तो कह सकते हैं?

खैर, आजकल महंगाई के कारण पैसे की कीमत घटती जा रही है, लेकिन खर्च बढ़ते जा रहे हैं।

ऐसे समय में लोग ऐसी संपत्तियों की तलाश करते हैं जो महंगाई से बचा सकें।

आइए जानते हैं महंगाई और बिटकॉइन (Inflation and Bitcoin) के बारे में। क्या Inflation से लड़ने में Bitcoin मदद कर सकता है?

What is Inflation: महंगाई क्या होती है?

किसी शायर ने खूब कहा है – चंद सिक्कों में बिकते हैं लोग यहां, कौन कहता है कि महंगाई बहुत है!!

खैर, जब समय के साथ चीजों की कीमतें बढ़ती हैं और पैसों की खरीदने की ताकत कम हो जाती है, तो इसे महंगाई कहते हैं।

Example – हम अक्सर अपने बुजुर्गों से सुनते हैं कि पहले 100 रुपये में 10 किलो चीनी मिल जाती थी, लेकिन आज उसी 100 रुपये में सिर्फ 5 किलो चीनी ही मिलती है।

इसका मतलब साफ है कि समय के साथ 100 रुपये की कीमत या ताकत कम हो गई है।

बहुत ज़िद करने के बाद मेरे पिताजी ने 2010 में मुझे एक बाइक दिलाई, जिसकी कीमत उस समय ₹40,000 थी।

आज जून 2025 में, उन्हीं ₹40,000 रुपयों से महंगाई के कारण बहुत कम चीज़ें खरीदी जा सकती हैं।

काश मैंने उस वक्त वही ₹40,000 बिटकॉइन में लगाए होते, तो उसकी वैल्यू आज करोड़ों में होती।

महंगाई आपकी खरीदने की ताकत को घटा सकती है और आपके बजट पर बोझ बढ़ा सकती है।

वर्तमान में US Inflation Rate – 2.4% है। फेडरल रिज़र्व ने जून 18, 2025 को अपनी ब्याज दरें 4.25–4.50% पर स्थिर रखी और साल 2025 में दो कटों की उम्मीद जताई।

Types of Inflation: महंगाई के प्रकार

चलिए जानते हैं कि वस्तुओं की कीमतें कैसे-कैसे प्रभावित होती हैं:

  • Cost-Push Inflation: जब उत्पादन की लागत (जैसे कच्चा माल, मजदूरी आदि) बढ़ जाती है।
  • Demand-Pull Inflation: जब सप्लाई से ज्यादा डिमांड बढ़ जाती है। Demand > Supply
  • Structural Inflation: जब वितरण की कमी, तकनीकी बाधाएँ या उत्पादन में समस्याएं होती हैं।
  • Monetary Inflation: जब अर्थव्यवस्था में पैसों की सप्लाई अत्यधिक बढ़ा दी जाती है (जैसे कि ज्यादा नोट छापना), तो इससे कीमतों में वृद्धि होती है।
  • Hyperinflation: जब कीमतें बहुत तेज़ी से बढ़ती हैं और मुद्रा की वैल्यू तेजी से गिरती है, तो इसे हाइपरइन्फ्लेशन कहा जाता है। उदाहरण: वेनेज़ुएला या ज़िम्बाब्वे।
  • Stagflation (स्टैगफ्लेशन): यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब देश में आर्थिक विकास धीमा होता है, लेकिन महंगाई दर उच्च बनी रहती है। यानी मंदी और महंगाई साथ-साथ होती है।

Interest Rates vs Bitcoin

जब CPI (महंगाई दर) ज्यादा होती है, तो अमेरिका में फेडरल रिजर्व को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ती हैं। इसका असर इस तरह होता है

  • बाजार में डर का माहौल (पैनिक) आ जाता है।
  • डॉलर मजबूत हो जाता है।
  • कंपनियों की कमाई घटती है।
  • और रिस्क वाले एसेट्स जैसे बिटकॉइन को झटका लगता है, क्योंकि ट्रेडर्स Volatile Assets से दूरी बना लेते हैं।

लेकिन जब CPI (मंहगाई दर) कम होती है, तो फेडरल रिजर्व को ब्याज दरें रोकनी या घटानी पड़ सकती है। इसका असर इस तरह होता है:

  • बाजार में पॉजिटिविटी बढ़ती है।
  • डॉलर कमज़ोर होता है, जिसका डायरेक्ट फायदा बिटकॉइन को मिलता है।
  • कंपनियों की कमाई बढ़ती है
  • और रिस्क वाले असेट्स जैसे बिटकॉइन को फायदा मिलता है, ट्रेडर्स वापस इसे खरीदने लगते हैं।

Inflation and Bitcoin Correlation: महंगाई और बिटकॉइन का आपसी संबंध

एक रिसर्च के अनुसार हर साल डॉलर की कीमत औसत 6% घटती है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपके पास आज 100 डॉलर है तो अगले साल उसकी खरीदने की ताकत सिर्फ 94 डॉलर के बराबर रह जाएगी।

Source: FRED

एक रिसर्च के अनुसार, 2020 में जो $100 थे, उनकी वैल्यू घटकर आज 2025 में 76 डॉलर रह गई है । वहीं दूसरी तरफ, 2020 में लगाए गए $100 बिटकॉइन आज 2025 में बढ़कर $1200 हो चुके हैं।

मतलब

  • इनफ्लेशन = डॉलर/रुपए कमज़ोर होना
  • बिटकॉइन = समय के साथ मजबूत होना।

मतलब

  • बिटकॉइन की टोटल सप्लाई  मात्र 21 मिलियन है। कोई नई बिटकॉइन सरकार छाप नहीं सकती।
  • यह एक डिफ्लेशनरी एसेट (Deflationary Asset) है, इसकी संख्या कभी बढ़ नहीं सकती। लेकिन लंबे समय में इसका मूल्य बढ़ता है।
  • और साथ ही इसकी मॉनेटरी पॉलिसी किसी एक संस्था या सरकार के हाथ में नहीं होती ।
  • यह बिल्कुल पूरी तरह से पारदर्शी और डिसेंट्रलाइज्ड है।

माइकल सेलर के अनुसार: इनफ्लेशन एक ऐसा कैंसर है जिसने इतिहास में कई सभ्यताओं का अंत कर दिया है और सिर्फ़ बिटकॉइन ही इसका इलाज है।

अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि – “बिटकॉइन और क्रिप्टो तेज़ी से बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ Hedge का काम करते हैं”

Anti-Inflation Measures:  कैसे बचाएं खुद को महंगाई से

ऐसी संपतियों में निवेश करें जो महंगाई से प्रभावित न हों जैसे –

  • बिटकॉइन – डिजिटल गोल्ड की तरह
  • सोना – सदियों से सुरक्षित निवेश
  • रियल एस्टेट (Real Estate) – ज़मीन और मकान की वैल्यू समय के साथ बढ़ती है

निष्कर्ष: Inflation and Bitcoin

महंगाई हमारे पैसों की खरीदने की ताकत को धीरे-धीरे कम कर देती है।

ऐसे में लोग ऐसी संपत्ति की तलाश करते हैं जो समय के साथ अपनी वैल्यू बनाए रखे।

बिटकॉइन एक सीमित सप्लाई वाला डिजिटल एसेट है, जिसे “डिजिटल गोल्ड” भी कहा जाता है।

यह महंगाई के समय में निवेश का एक विकल्प बनकर उभरा है।

हालांकि इसमें जोखिम भी होते हैं, लेकिन लंबे समय में यह महंगाई से सुरक्षा देने वाला माध्यम बन सकता है।

इसलिए, कुछ देशों और निवेशकों ने बिटकॉइन को एक Strategic Bitcoin Reserve के रूप में अपनाना शुरू कर दिया है।

jay

मेरा नाम Jay है और मैं क्रिप्टो की दुनिया से जुड़ा एक कंटेंट क्रिएटर और साथ ही KryptoXpress.com का Founder हूं। https://kryptoxpress.com/jay/

4 thoughts on “Mahngai aur Bitcoin ka kya rishta hai (Inflation vs bitcoin Explained) हिंदी में”

Leave a Comment