अमेरिका को यह समझ आ गया है की फिएट डॉलर की तरह ही अगर उसे डिजिटल डॉलर की लीडरशिप बनाए रखनी है तो नियमों में पारदर्शिता और शक्ति दोनों चाहिए।
इसी को ध्यान में रखते हुए अमेरिका सीनेट ने जीनियस एक्ट 2025 (GENIUS Act 2025) पेश किया है।
यह GENIUS Act 2025 क्या है और इस नए कानून से क्या होगा लिए इस ब्लॉग के जरिए से समझते हैं।
GENIUS Act 2025 Kya Hai – GENIUS Act क्या है?
यह बिल USDC, USDT और अन्य डॉलर-पेग्ड टोकन जैसे स्टेबलकॉइन को रेगुलेट करने के लिए नियम तय करता है।
इस कानून के तहत अगर कोई विदेशी स्टेबलकॉइन (जैसे Tether) अमेरिका के नियमों का पालन नहीं करता, तो अमेरिकी रेगुलेटर्स उसे बैन कर सकते हैं।
इससे अमेरिकी स्टेबलकॉइन्स को आगे बढ़ने का मौका मिल सकता है।
Key Points of the GENIUS Act
- इस कानून के तहत हर स्टेबलकोइंस को अमेरिकी डॉलर या लिक्विड असेट्स (शॉर्ट-टर्म ट्रेज़री) से पूरी तरह (1:1) बैक करना अनिवार्य है ।
- स्टेबलकोइंस कंपनियों का मार्केट कैप अगर 50 बिलियन डॉलर से अधिक है तो उन्हें हर साल ऑडिट करवाना जरूरी होगा।
- हर महीने रिज़र्व की जानकारी देनी होगी।
- और विदेशी कंपनिया जो अमेरिका में स्टेबलकॉइन चलाना चाहती हैं, उनके लिए भी गाइडलाइंस तय किए गए हैं।
- कोई भी कंपनी इन स्टेबलकॉइन्स पर यील्ड (ब्याज) नहीं दे सकेगी।
- रिजर्व फंड्स और ऑपरेशनल फंड अलग-अलग रखने होंगे।
- AML/KYC नियम और फंड फ्रीज़ करने की शक्ति।
क्यों जरूरी है GENIUS ACT?
- स्टेबलकॉइन का मार्केट कैप 250 बिलीयन डॉलर से पार हो चुका है।

- आने वाले दिनों में ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट के अनुसार यह मार्केट कैप दो ट्रिलियन डॉलर से पार हो जाएगा ।

- 2030 तक स्टेबलकॉइन कंपनियां अमेरिकी सरकारी बॉन्ड की सबसे बड़ी खरीदार बन सकती है।

- क्रिप्टो लेन-देन में आज 60% से ज़्यादा हिस्सा स्टेबलकॉइन का है।
- TRM Labs की रिपोर्ट बताती है कि 99% स्टेबलकॉइन एक्टिविटी वैध है, पर तेज़ी और स्केल के कारण ये रैंसमवेयर, फ्रॉड और आतंक की फंडिंग जैसे अपराधों में इस्तेमाल हो सकता है।
ऐसे में स्टेबलकॉइन को रेगुलेटेड करना बहुत जरूरी हो जाता हैl
सीनेटर बिल हेगर्टी का बयान
GENIUS Act को स्पॉन्सर (Sponsor) करने वाले सीनेटर बिल हेगर्टी ने इसे अमेरिका के लिए “एक बड़ी जीत” बताया। उनके अनुसार:
- अमेरिकी डॉलर की ग्लोबल पावर को मजबूत करेगा
- कंज्यूमर प्रोटेक्शन बढ़ेगा
- अमेरिका की ट्रेजरी की मांग बढ़ाएगी।
- डिजिटल एसेट इनोवेशन को अमेरिका के हाथों में रखेगा, ना कि किसी विरोधी देश के हाथ में।
ट्रंप का समर्थन
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी डॉलर स्टेबलकॉइन्स को समर्थन देते हुए कहा:
डिजिटल एसेट्स भविष्य हैं, और हमारा देश इसे अपनाने जा रहा है। हम बहुत बड़े निवेश और नए इनोवेशन की बात कर रहे हैं।

सीनेट ने पास किया GENIUS Act
- 17 जून 2025 को अमेरिकी सीनेट ने एक अहम बिल GENIUS Act (Guiding and Establishing National Innovation for US Stablecoins) को 51-23 वोटों से पास कर दिया।
- यह इतिहास में पहली बार है जब क्रिप्टो से जुड़ा कोई बड़ा बिल सीनेट से पास हुआ है।
- अब इसे कानून बनने के लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से पास होना होगा ।
- फिर राष्ट्रपति की मंज़ूरी लेनी होगी।
GENIUS Act PROS
- कंज्यूमर प्रोटेक्शन और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
- जैसे ही यह बिल पास होगा, यह बड़े बैंकों और पेमेंट कंपनियों के लिए स्टेबलकॉइन टेक्नोलॉजी को अपनाने का रास्ता खोल देगा ।
- ये कानून ख़ासकर Meta, Walmart, Amazon, JP Morgan जो पहले से इसकी तैयारी में हैं, उनके स्टेबलकॉइन बाज़ार में उतरने का रास्ता क्लियर कर देगा।
GENIUS Act CONS
- शुरुआत में, क्रिप्टो करेंसी को सेंट्रल अथॉरिटी से आजाद रहने के लिए बनाया गया था। लेकिन अब GENIUS Act के तहत सरकार स्टेबलकॉइन बनाने वालों को सख्त नियमों का पालन करने के लिए मजबूर करता है।
- इससे स्टेबलकॉइन और डॉलर में कोई अंतर नहीं रह जाएगा। और यह कानून क्रिप्टो के मुख्य विचार (Decentralization) के बिल्कुल उलट है।
- इसके ज़रिए सरकार को ज़्यादा शक्ति मिलती है, लेकिन आम यूज़र्स और डेवलपर्स की प्राइवेसी, आज़ादी और फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाता है।
अंतिम विचार
इस जीनियस एक्ट (GENIUS ACT) के तहत सरकार विदेशी टोकनों पर नियंत्रण करेगी, वहीं दूसरी ओर घरेलू स्टेबलकोइंस कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा।
साथ ही स्टेबलकॉइन को पारदर्शी, सुरक्षित और अमेरिकी हितों के अनुरूप बनाया जाएगा। यह अमेरिका के डिजिटल फाइनेंस के भविष्य की दिशा तय करता है।