SEC नाम ही आतंक के लिए काफी है। अगर आप क्रिप्टो में काम करते हैं तो आपने अक्सर सुना होगा कि कोई क्रिप्टो प्रोजेक्ट जैसे ETH या XRP “SEC” के निशाने पर आ गया।
या फिर किसी कॉइन को “सिक्योरिटी” घोषित कर दिया गया।
पर ये Crypto Securities होती क्या है (Crypto Securities kya hai)?
और इसका आपकी फेवरेट क्रिप्टोकरेंसी पर क्या असर पड़ता है? चलिए इस पूरे विषय को आसान भाषा में समझते हैं।
Crypto Securities kya hai – क्रिप्टो सिक्योरिटीज क्या है?
क्रिप्टो में कई तरह के अलग-अलग प्रोजेक्ट लॉन्च होते हैं, और जब कोई क्रिप्टो प्रोजेक्ट अपने टोकन को इस तरह प्रमोट करता है कि आप उसमें निवेश करें और वो आपको फ्यूचर में रिटर्न देगा, तो SEC उसे “सिक्योरिटी” मान सकती है।
ज्यादातर क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स फंडरेजिंग के दौरान खुद को करेंसी, यूटिलिटी टोकन या कम्युनिटी टोकन बताते हैं ।
और साथ ही निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट का वादा करते हैं, तो SEC ऐसे प्रोजेक्ट को “सिक्योरिटी” मान सकता है।
आए दिन हमें क्रिप्टो मार्केट में फ्रॉड और स्कैम्स देखने को मिलते हैं। मैनिपुलेशन और इनसाइडर ट्रेडिंग होते हैं। इसलिए SEC जैसे संस्थानों का रेगुलेशन होना या दखल देना जरूरी है।
कौन-कौन सी बातें किसी क्रिप्टो टोकन को ‘सिक्योरिटी’ (security) बना सकती हैं
- अगर किसी टोकन को इस तरह बेचा जा रहा है कि लोग उसमें पैसा लगाकर मुनाफा कमाएं है।
- अगर Utility token में भी पैसे कमाने का लालच दिया जा रहा है।
- अगर कोई टोकन प्रोजेक्ट के मुनाफे में हिस्सा देने का वादा करता है।
- कोर्ट के फैसले

SEC क्या है?
SEC का पूरा नाम है Securities and Exchange Commission है।
ये अमेरिका की एक सरकारी संस्था है , जो अमेरिका के शेयर बाज़ार से लेकर म्युचुअल फंड और अन्य निवेश बाजारों को रेग्यूलेट करती है, ठीक वैसे ही जैसे भारत में SEBI करता है।
इसका काम है:
- निवेशकों की सुरक्षा
- मार्केट में पारदर्शिता लाना।
- धोखाधड़ी रोकना।
अगर कोई एसेट (जैसे ETH या XRP) सिक्योरिटी मानी जाती है, तो उसे SEC के हार्ड रूल्स फॉलो करने पड़ते हैं।
इसमें रजिस्ट्रेशन से लेकर रेगुलेटेड ट्रेडिंग, और रिपोर्टिंग शामिल हैं।
और अगर SEC के रूल्स को फॉलो नहीं करता, तो वो गैरकानूनी माने जाते हैं।
क्रिप्टो में सिक्योरिटी का टैग होने से पारदर्शिता आती है और निवेशकों की सुरक्षा बढ़ती है।
लेकिन बहुत सारे क्रिप्टो प्रोजेक्ट इस तरह के बर्डन (Registration और Compliance) से बचना चाहते हैं ।
सिस्टम के अंदर में रहकर काम नहीं करना चाहते हैं इसलिए जहां तक हो सिक्योरिटी टैग से बचना चाहते हैं।
कौन-कौन से क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स SEC की जांच के दायरे में हैं?
- Ripple (XRP): SEC ने इसे सिक्योरिटी माना और मामला अब भी चल रहा है। केस सुलझने पर XRP की कीमत बढ़ सकती है और XRP ETF को भी मंजूरी मिल सकती है।

- इसके अलावा Coinbase, बाइनेंस जैसे एक्सचेंज पर आरोप है कि ये एक्सचेंज ऐसे टोकन बेच रहे हैं जो सिक्योरिटीज हैं।
- तो दूसरी तरफ, सोलाना और Cardano और पॉलीगन (Matic) जैसे टोकन भी SEC की हिटलिस्ट में सिक्योरिटी के तौर पर आ चुके हैं और मामला कोर्ट में चल रहा है।
भगवान का शुक्र है कि बिटकॉइन को सिक्योरिटी नहीं माना गया है।
बिटकॉइन खुद SEC के सीधे कंट्रोल में नहीं आता, लेकिन अगर Bitcoin पर आधारित कोई ETF (Exchange Traded Fund) या फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लॉन्च होता है, तो वो SEC के नियमों के तहत आता है।
Ethereum और Staking: निवेशकों का बढ़ता भरोसा
SEC ने साफ कर दिया है कि “हर तरह के स्टेकिंग मैकेनिज्म को सिक्योरिटी कानूनों के तहत नहीं रखा जाएगा।“
इससे पहले ट्रेडर्स और इन्वेस्टर स्टेकिंग करने से डरते थे कि कहीं नियमों का उल्लंघन ना हो जाए ।
अब इसका सीधा असर एथेरियम नेटवर्क पर पड़ा है जहां ज्यादा से ज्यादा लोग ETH स्टेकिंग में हिस्सा ले रहे हैं। अब तक रिकॉर्ड तोड़ 3.5 करोड़ से अधिक एथेरियम स्टेक किए जा चुके हैं।
ऐसे में हमें स्टेक्ड ETH ETF भी जल्दी देखने को मिल सकता है।
अंतिम विचार
क्रिप्टो इंडस्ट्री अब काफी बड़ी हो चुकी है। SEC का रोल दिन-ब-दिन बढ़ रहा है । ऐसे में रेगुलेशन और इनोवेशन दोनों साथ-साथ चलना जरूरी है।
इनोवेशन से इंडस्ट्री डेवलप होती है तो रेगुलेशन से इंडस्ट्री परिपक्व।
हम निवेशकों को भी टोकन में इन्वेस्ट करने से पहले यह जांच करना बहुत जरूरी है कि टोकन सिक्योरिटी के दायरे में आता है या नहीं।
हालांकि बहुत सारी क्रिप्टो सपोर्टर SEC के इन रूल्स को फ्रीडम के खिलाफ मानते हैं।
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