क्या कभी आपने सोचा है कि बैंकों को भी लोन लेने की जरूरत होती है। और ये आम लोगों से नहीं , बल्कि देश के केंद्रीय बैंक से लोन लेते हैं। भारत के केस में इसे RBI और अमेरिका के केस में फेडरल रिजर्व कहा जाता है ।इस लोन पर जो ब्याज लिया जाता है उसे ही रेपो रेट (Repo Rate) कहा जाता है। इस रेपो रेट का असर आपकी ईएमआई(EMI) और सेविंग्स पर भी पड़ता है ।
चलिए जानते हैं कि रेपो रेट (Repo Rate) क्या है, कैसे तय होती है और हमारे जिंदगी को कैसे प्रभावित करती है।
Repo Rate Kya hai: Repo Rate क्या है?
जिस प्रकार हमारे देश में आरबीआई (RBI) होता है , ठीक उसी प्रकार अमेरिका में एक सेंट्रल बैंक होता है, जिसे फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) कहते हैं ।
जिस प्रकार RBI हमारे कमर्शियल बैंक (जैसे HDFC, ICICI , SBI) को शॉर्ट टर्म लोन देता है, ठीक उसी प्रकार अमेरिकन सेंट्रल बैंक (Federal Reserve) भी वहां की कमर्शियल बैंक को शॉर्ट टर्म लोन देता है । इस रेट को ही रेपो रेट कहा जाता है।
उदाहरण के लिए, अगर वर्तमान में रेपो रेट 7.50% है, तो इसका मतलब हुआ कि बैंक को RBI से उधार लिए गए पैसों पर सालाना 7.5% की दर से ब्याज देना होगा।
जब रेपो रेट में कटौती होती है (Repo Rate Cut)
जब भी फेडरल रिजर्व, रेपो रेट घटाता है, तो उसका डायरेक्ट मतलब मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ने वाली है।
इसका मतलब है फेडरल रिजर्व वहां की कमर्शियल बैंक को सस्ते रेट पर लोन देगा। जब बैंकों को सस्ते में लोन मिलेगा, तो वे भी आगे जनता या बिजनेस वालों को सस्ते में लोन देंगे।
इससे बाजार में पैसा बढ़ेगा और लोग उस पैसे को निवेश या अन्य खर्चों में प्रयोग करना शुरू करेंगे। यही पैसा इन्वेस्टमेंट के ज़रिए स्टॉक मार्केट या क्रिप्टो मार्केट में आता है।
इसलिए रेपो रेट घटने का डायरेक्ट संबंध पैसा के सस्ता होने से है , मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ जाती है और इकोनॉमी/बाज़ार को बूस्ट मिलता है ।
बाज़ार में liquidity बढ़ने से बिज़नेस को तेज़ी मिलती है, फलस्वरूप GDP में उछाल आता है। यह हमारे जैसे इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के लिए एक अच्छी न्यूज़ होती है।
कम रेपो रेट = बढ़ती लिक्विडिटी = बाजार में उछाल
जब रेपो रेट बढ़ता है (Repo Rate Hike)
और जब भी रेपो रेट बढ़ाया जाता है, तो फेडरल बैंक, कमर्शियल बैंक को महंगे रेट पे लोन देता है। जब बैंक को खुद महंगे रेट पर लोन मिलता है तो वह आगे भी बाजार में निवेशकों या बिजनेसमैन को महंगे रेट पर लोन देते हैं ।
ऐसे में लोग सोचते हैं कि अभी निवेश करना सही नहीं — अर्थव्यवस्था थोड़ी धीमी हो जाती है।
जिससे कि बहुत सारे इन्वेस्टर या बड़े institutions रिस्क वाले एसेट (Crypto) से पैसा निकालना शुरू कर देते हैं, जिससे मार्केट से लिक्विडिटी काफी कम हो जाती है।
इसलिए जब भी रेपो रेट बढ़ाया जाता है तो बिटकॉइन या Ethereum की कीमत गिरने लगती है।
मतलब जब भी Federal Reserve कहता है कि Rate Hike होंगे तो मार्केट डर जाता है।
US रेपो रेट (Repo Rate): क्रिप्टो ट्रेडर्स अमेरिका के रेपो रेट पर ध्यान क्यों देते हैं?
1. Market Sentiment समझने के लिए:
• अगर Rate बढ़ेगा तो बाजार नीचे जा सकता है।
• अगर Rate घटेगा तो बाजार में उछाल आ सकता है।
2. डॉलर की ताकत का असर
• अगर Rate बढ़ते हैं तो डॉलर मजबूत होता है और क्रिप्टो कमजोर।
• अगर Rate घटते हैं तो डॉलर कमजोर होता है और क्रिप्टो मजबूत।
निष्कर्ष:
रेपो रेट एक तरह से मार्केट से लिक्विडिटी को कंट्रोल करने का एक स्विच है। RBI या Fed इसकी मदद से लिक्विडिटी को कम या ज्यादा करके महंगाई और मंदी को संतुलित करते हैं।
साथ ही रेपो रेट मार्केट Sentiment को समझने का एक बड़ा इंडिकेटर होता है, इसलिए क्रिप्टो ट्रेडर्स फेड (Fed) के बयान और रेट Decision पर लगातार नजर रखते हैं।
लॉन्गर्स और शॉर्टर्स इसका फायदा उठाने और अपनी पोज़िशन लेने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
Nicely elaborated information.
धन्यवाद
Nice
Tysm
Rate cuts kab start honge pata nahi. Tab tak to market ko halat kharab hi rahegi
Let’s see. Thank you for the comment