Types of Cryptocurrencies: CBDC, टोकन, स्टेबलकॉइन और ऑल्टकॉइन का पूरा गाइड

By Aadi Kumar

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Types of Cryptocurrencies

क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय दुनिया में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। बिटकॉइन और अन्य डिजिटल करेंसीज ने निवेशकों, कंपनियों और आम लोगों का ध्यान खींचा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ बिटकॉइन तक सीमित नहीं हैं? आज हम आपको Types of Cryptocurrencies के बारे में विस्तार से बताएंगे और बताएंगे कि कैसे ये अलग-अलग उद्देश्यों और उपयोगों के लिए डिज़ाइन की जाती हैं।

1. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDCs)

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, जिसे CBDCs कहा जाता है, किसी देश की मुद्रा का डिजिटल रूप होती है। इसे उस देश का सेंट्रल बैंक जारी करता है। CBDCs को फिजिकल नोट और सिक्कों के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है और ये देश की वित्तीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं।

हाल ही में बहामास, जमैका और नाइजीरिया जैसे देशों ने अपनी CBDCs लॉन्च की हैं। चीन ने भी डिजिटल युआन के माध्यम से इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम किया है। भारत में RBI डिजिटल करेंसी पर लगातार रिसर्च और पायलट प्रोजेक्ट्स कर रहा है। फिलहाल लगभग 134 देश CBDCs पर काम कर रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल लेन-देन को तेज, सुरक्षित और आसान बनाना है।

CBDCs का फायदा यह है कि ये पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम से जुड़ी समस्याओं को कम कर देती हैं। डिजिटल भुगतान, सरकारी सब्सिडी और अंतरराष्ट्रीय लेन-देन को सुगम बनाने में CBDCs अहम भूमिका निभा सकती हैं। इसके अलावा, ये वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को बढ़ावा देती हैं।

2. पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी

पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी वह डिजिटल करेंसी होती हैं जो अपनी खुद की ब्लॉकचेन पर चलती हैं और पैसा ट्रांसफर करने का काम करती हैं। बिटकॉइन सबसे पुरानी और लोकप्रिय पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी है। मार्केट कैप के हिसाब से यह क्रिप्टो मार्केट का लगभग 57% हिस्सा रखती है।

इसके अलावा, लाइटकॉइन और बिटकॉइन कैश जैसी क्रिप्टोकरेंसी तेज और कम शुल्क वाले लेन-देन की सुविधा देती हैं। पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की तुलना में ज्यादा स्वतंत्र होती हैं और इनमें सरकारी दखल कम होता है। यही कारण है कि व्यापारी और निवेशक इन्हें तेजी से अपनाते जा रहे हैं।

हाल के वर्षों में, डिजिटल भुगतान और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल बढ़ा है। यह न सिर्फ तेज़ लेन-देन देती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी फास्ट ट्रैक पेमेंट का विकल्प बन चुकी हैं।

3. टोकन

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टोकन किसी मौजूदा ब्लॉकचेन पर बनाए जाते हैं और अपनी खुद की ब्लॉकचेन नहीं रखते। ये किसी नेटवर्क के भीतर डिजिटल एसेट का प्रतिनिधित्व करते हैं या किसी सर्विस तक पहुंच प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, गेमिंग आइटम या डिजिटल सेवाओं के लिए टोकन का इस्तेमाल किया जाता है।

एथेरियम पर ERC-20 टोकन सबसे आम उदाहरण हैं। टोकन का उपयोग प्रोजेक्ट की पूंजी जुटाने, डिजिटल एसेट का आदान-प्रदान और एप्लिकेशन के भीतर सेवाओं तक पहुंच के लिए किया जाता है। DeFi (Decentralized Finance) प्लेटफॉर्म और NFT मार्केटप्लेस में टोकन की भूमिका तेजी से बढ़ रही है।

टोकन क्रिप्टो निवेशकों के लिए नए अवसर पैदा करते हैं। इनका इस्तेमाल स्टार्टअप फंडिंग, डिजिटल कॉन्टेंट एक्सचेंज और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के माध्यम से व्यावसायिक मॉडल में किया जा सकता है।

4. स्टेबलकॉइन

स्टेबलकॉइन एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी है जो कम अस्थिर होती है और अक्सर फिएट करेंसी या सोना, चांदी जैसी संपत्तियों से जुड़ी होती है। इसका मुख्य उद्देश्य क्रिप्टो मार्केट की अस्थिरता को संतुलित करना है।

उदाहरण के लिए, टेथर (USDT) और USDC प्रमुख स्टेबलकॉइन हैं जिनका मार्केट कैप बहुत बड़ा है। निवेशक और व्यापारी इन्हें तब इस्तेमाल करते हैं जब वे क्रिप्टो मार्केट के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं। स्टेबलकॉइन वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करता है, इसलिए इसे क्रिप्टो ट्रेडिंग और पेमेंट में तेजी से अपनाया जा रहा है।

स्टेबलकॉइन का महत्व बढ़ रहा है क्योंकि यह डिजिटल करेंसी को रोज़मर्रा के जीवन में उपयोगी बनाता है। इन्हें बैंकिंग सिस्टम के विकल्प के रूप में भी देखा जा सकता है।

5. ऑल्टकॉइन

ऑल्टकॉइन वह क्रिप्टोकरेंसी है जो बिटकॉइन के अलावा अन्य सभी क्रिप्टोकरेंसी को दर्शाती हैं। ये अक्सर बिटकॉइन की तुलना में नई तकनीक और बेहतर फीचर्स पेश करती हैं।

सोलाना, कार्डानो, रिपल, अवालांच और पोलीगॉन जैसी ऑल्टकॉइन तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। ये न सिर्फ डिजिटल मुद्रा के रूप में काम करती हैं, बल्कि ब्लॉकचेन तकनीक के नए इस्तेमाल और व्यावसायिक समाधान भी प्रदान करती हैं। ऑल्टकॉइन की मुख्य विशेषताएँ तेज लेन-देन, बेहतर स्केलेबिलिटी और पारदर्शिता हैं।

ऑल्टकॉइन निवेशकों के लिए विविध अवसर और जोखिम प्रबंधन का विकल्प प्रदान करती हैं। डेवलपर्स इन्हें स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स, डीएपी (DApps) और वित्तीय एप्लिकेशन बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

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